Virender Sehwag, भारतीय क्रिकेट का वो धमाकेदार नाम, जिसने अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से दुनिया को हिलाकर रख दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब Virender Sehwag ने वनडे क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था? ये कहानी है उनके करियर के उस मुश्किल दौर की, जब एमएस धोनी ने उन्हें टीम से बाहर किया और सचिन तेंदुलकर ने उनकी जिंदगी बदल दी।
सहवाग का दर्द: धोनी ने क्यों दिखाया मुझे बाहर का रास्ता?
2007-08 में ऑस्ट्रेलिया में हुई कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज में Virender Sehwag की बल्लेबाजी कुछ खास नहीं चली। पहले पांच मैचों में उन्होंने सिर्फ 81 रन बनाए, वो भी 16.20 के औसत के साथ। धोनी, जो उस समय कप्तान थे, ने Virender Sehwag को आखिरी तीन मैचों से बाहर कर दिया। ये बात Virender Sehwag के दिल पर लग गई। उन्होंने एक पॉडकास्ट में बताया, “मुझे लगा कि अगर मैं प्लेइंग इलेवन में नहीं हूँ, तो वनडे खेलने का क्या फायदा?” इस फैसले ने उनके आत्मविश्वास को हिला दिया, और वे टूट से गए।
- क्या हुआ था?
- Virender Sehwag की फॉर्म थी खराब।
- धोनी ने रणनीति के तहत रोबिन उथप्पा को मौका दिया।
- भारत ने वो सीरीज जीती, लेकिन सहवाग का दिल टूट गया।
धोनी का फैसला: सहवाग को वनडे से क्यों हटाया गया?
धोनी का Virender Sehwag को ड्रॉप करना एक रणनीतिक फैसला था। उस सीरीज में भारत को ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका जैसी मजबूत टीमें टक्कर दे रही थीं। Virender Sehwag की खराब फॉर्म ने धोनी को कड़ा फैसला लेने पर मजबूर किया। उनकी जगह उथप्पा को मौका मिला, और भारत ने दोनों फाइनल जीतकर खिताब अपने नाम किया। लेकिन Virender Sehwag के लिए ये समय आसान नहीं था। वे इसे अपनी नाकामी मान बैठे और वनडे क्रिकेट से हटने की सोचने लगे।
- धोनी का फैसला क्यों?
- Virender Sehwag का स्कोर था सिर्फ 81 रन, 5 मैचों में।
- धोनी ने टीम की जीत को प्राथमिकता दी।
- सहवाग को बाहर बैठना पड़ा, जो उनके लिए बड़ा झटका था।
सहवाग की अनकही कहानी: रिटायरमेंट की सोच कैसे आई?
Virender Sehwag हमेशा अपनी बिंदास बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे, लेकिन इस बार उनका आत्मविश्वास डगमगा गया। उन्होंने बताया, “जब मुझे लगातार बाहर रखा गया, तो मुझे लगा कि शायद वनडे क्रिकेट मेरे लिए नहीं है।” उस समय Virender Sehwag ने टेस्ट में शानदार 150 रन की पारी खेली थी, लेकिन वनडे में जगह न मिलने से वे निराश थे। इस निराशा ने उन्हें रिटायरमेंट की सोच तक ले जा दिया। ये वो पल था जब Virender Sehwag अपने करियर के सबसे काले दौर से गुजर रहे थे।
सचिन से दिल की बात: सहवाग ने रिटायरमेंट का मन बनाया!
इस मुश्किल वक्त में Virender Sehwag ने अपने दोस्त और क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर से बात की। उन्होंने सचिन से कहा, “मैं वनडे से संन्यास लेने की सोच रहा हूँ।” सचिन ने Virender Sehwag को अपनी कहानी सुनाई, जब 1999-2000 में वे भी ऐसे ही दौर से गुजरे थे। सचिन ने कहा, “ये बस एक बुरा वक्त है, जल्दी में कोई फैसला मत लो। थोड़ा इंतजार करो।” सचिन की ये सलाह Virender Sehwag के लिए मरहम बन गई।
- सचिन की सलाह:
- “हर खिलाड़ी का बुरा दौर आता है।”
- “इमोशन में कोई बड़ा फैसला मत ले।”
- “1-2 सीरीज और खेल, फिर सोच।”
सचिन के साथ वो मुलाकात: सहवाग का दिल तोड़ने वाला पल!
सचिन के साथ वो मुलाकात Virender Sehwag के लिए जिंदगी बदलने वाली थी। उनका मन टूट चुका था, लेकिन सचिन ने उन्हें हौसला दिया। सचिन ने कहा, “ये वक्त भी गुजर जाएगा।” इस बात ने Virender Sehwag में नई जान डाल दी। इसके बाद किटप्ले कप में उनकी धमाकेदार वापसी हुई, जहां उन्होंने 3 मैचों में 150 रन बनाए, जिसमें 2 अर्धशतक थे। सचिन की सलाह ने न सिर्फ Virender Sehwag को रिटायरमेंट से रोका, बल्कि 2011 वर्ल्ड कप में भारत की जीत में भी उनकी बड़ी भूमिका रही।
Virender Sehwag का करियर: एक नजर में
खासियत | विवरण |
---|---|
वनडे मैच | 251 |
रन | 8273 |
शतक | 15 |
अर्धशतक | 38 |
स्ट्राइक रेट | 104.33 |
विश्व कप 2011 | भारत की जीत में अहम भूमिका |
Virender Sehwag की प्रेरणा: बेटे को सलाह
Virender Sehwag ने अपने बेटे आर्यवीर को भी क्रिकेट में आगे बढ़ने की सलाह दी है, जो दिल्ली की अंडर-16 टीम में खेलते हैं। उन्होंने कहा, “मैंने आर्यवीर को बताया कि दबाव लेने की बजाय दबाव देना सीखो। अपने स्टाइल में खेलो।” ये सलाह Virender Sehwag के अपने अनुभवों से आई है, जहां उन्होंने कभी दबाव को हावी नहीं होने दिया।
निष्कर्ष: Virender Sehwag की कहानी से सीख
Virender Sehwag की ये कहानी हमें सिखाती है कि बुरा वक्त हर किसी के जीवन में आता है, लेकिन हिम्मत और सही सलाह से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। धोनी का फैसला भले ही कठिन था, लेकिन सचिन की सलाह ने Virender Sehwag को नया रास्ता दिखाया। उनकी वापसी और 2011 वर्ल्ड कप की जीत उनकी मेहनत और हौसले की मिसाल है।