AB de Villiers क्रिकेट की दुनिया का वो सितारा हैं, जिन्हें हर कोई मिस्टर 360 के नाम से जानता है। हाल ही में एक इंटरव्यू में एबी डिविलियर्स ने अपनी क्रिकेट जर्नी, दक्षिण अफ्रीका की हार-जीत और RCB के साथ अपने खास पलों को बयां किया। उनकी बातें इतनी सच्ची और दिल को छूने वाली थीं कि हर क्रिकेट फैन को ये सुनना चाहिए। आइए, उनकी जुबानी समझें कि 1999, 2015 और 2024 में कौन सी हार सबसे दर्दनाक थी, 2024 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में क्या हुआ, चोकर टैग अब खत्म हुआ या नहीं और WTC जीत पर उनकी क्या राय है।
1999, 2015 या 2024: सबसे दर्दनाक हार कौन सी?
AB de Villiers से जब पूछा गया कि दक्षिण अफ्रीका की सबसे दुखी हार कौन सी थी, तो उन्होंने बिना झिझक कहा, “1999 का वर्ल्ड कप सेमीफाइनल।” ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वो मैच, जहां आखिरी 3 गेंदों में सिर्फ 1 रन चाहिए था, लेकिन लांस क्लूजनर और एलन डोनाल्ड की गलतफहमी ने सब बिगाड़ दिया। AB de Villiers ने बताया, “मैं तब 15 साल का था। उस रात मैं रोते-रोते सोया। वो दर्द आज भी ताजा है।” 2015 में न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में भी हार दुखी करने वाली थी, क्योंकि कुछ कैच छूट गए। 2024 की हार भी करीबी थी, लेकिन AB de Villiers के लिए 1999 का दर्द सबसे गहरा है।
क्यों थी 1999 की हार खास?
- सिर्फ 1 रन की जरूरत थी, फिर भी टाई हो गया।
- एबी डिविलियर्स का कहना है कि वो पल उनके दिल में आज भी चुभता है।
- क्लूजनर और डोनाल्ड की गलतफहमी ने फाइनल का सपना तोड़ा।
साल | मैच | प्रतिद्वंद्वी | परिणाम |
---|---|---|---|
1999 | वर्ल्ड कप सेमीफाइनल | ऑस्ट्रेलिया | टाई |
2015 | वर्ल्ड कप सेमीफाइनल | न्यूजीलैंड | हार |
2024 | टी20 वर्ल्ड कप फाइनल | भारत | हार |
2024 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल: AB de Villiers की प्रतिक्रिया
2024 का टी20 वर्ल्ड कप फाइनल भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच था। AB de Villiers ने बताया कि हेनरिक क्लासेन ने कमाल की बैटिंग की, लेकिन उनका आउट होना गेम का टर्निंग पॉइंट था। उन्होंने कहा, “अगर क्लासेन 3 ओवर और खेलते, तो शायद हम जीत जाते।” भारत ने पहले बैटिंग करके अच्छा स्कोर बनाया, और हार्दिक पांड्या की गेंदबाजी ने बाजी पलट दी। AB de Villiers ने आकाश मधवाल के बाउंड्री लाइन पर कैच को भी निष्पक्ष बताया। उनके लिए ये हार दुखद थी, लेकिन दक्षिण अफ्रीका की लड़ाई ने दिल जीता।
2024 फाइनल के खास पल:
- क्लासेन की शानदार बैटिंग, लेकिन आउट होना गेम चेंजर।
- AB de Villiers ने कहा, भारत का स्कोर पीछा करना मुश्किल था।
- पांड्या की गेंदबाजी और आकाश का कैच निर्णायक रहे।
‘चोकर’ टैग: क्या अब हट चुका है?
दक्षिण अफ्रीका को सालों तक ‘चोकर’ टैग झेलना पड़ा, यानी वो बड़े मैचों में दबाव में हार जाते थे। AB de Villiers से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, “ये टैग मुझे कभी परेशान नहीं करता। मेरे लिए ये एक मौका था दुनिया को दिखाने का कि हम क्या हैं।” WTC फाइनल जीतने के बाद एबी डिविलियर्स मानते हैं कि ये टैग अब हट चुका है। उन्होंने बताया कि कई युवा खिलाड़ी, जो उनकी कप्तानी में ड्रेसिंग रूम में थे, ने ये कमाल किया। ये जीत उनके लिए गर्व का पल थी।
चोकर टैग क्यों हटा?
- WTC जीत ने दक्षिण अफ्रीका का आत्मविश्वास बढ़ाया।
- AB de Villiers का मानना है कि दबाव में खेलना उनकी ताकत है।
- युवा खिलाड़ियों ने उनकी बातों को अपनाया और जीत हासिल की।
WTC जीत पर AB de Villiers की प्रतिक्रिया
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) की जीत दक्षिण अफ्रीका के लिए बहुत बड़ा मौका थी। AB de Villiers ने इसे ‘बंदर को पीठ से उतारने’ जैसा बताया। उन्होंने कहा, “उन युवा खिलाड़ियों को देखकर गर्व हुआ, जो मेरे साथ ड्रेसिंग रूम में थे।” टेस्ट क्रिकेट को वो सबसे मुश्किल फॉर्मेट मानते हैं, जहां कोई छिप नहीं सकता। एबी डिविलियर्स के लिए ये जीत न सिर्फ एक ट्रॉफी थी, बल्कि भविष्य की जीत का रास्ता भी।
WTC जीत की खास बातें:
- दक्षिण अफ्रीका ने ‘चोकर’ टैग को तोड़ा।
- एबी डिविलियर्स ने कहा, ये जीत युवा खिलाड़ियों की मेहनत का नतीजा है।
- टेस्ट क्रिकेट में ये जीत एक मील का पत्थर है।
AB de Villiers की खास बातें
AB de Villiers ने इंटरव्यू में कुछ ऐसी बातें कहीं, जो हर क्रिकेट फैन को प्रेरित करेंगी। उन्होंने कहा कि दबाव में खेलना उन्हें पसंद है। नेपाल क्रिकेट के बारे में बात करते हुए एबी डिविलियर्स ने सुझाव दिया कि छोटी टीमों को ज्यादा मौके मिलने चाहिए। उनकी सलाह थी, “कड़ी मेहनत करो, अपनी ताकत ढूंढो, और कोई शॉर्टकट मत लो।”
निष्कर्ष:
AB de Villiers की कहानी हार और जीत का मिश्रण है। 1999 की हार का दर्द, 2024 की करीबी हार, और WTC की जीत ने उनके जुनून को दिखाया। ‘चोकर’ टैग का खत्म होना और उनकी प्रेरणादायक बातें हर क्रिकेट फैन के लिए खास हैं।